मीडिया के क्षेत्र में 'हिन्दुस्तान' के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर काफी जाना-माना नाम है। पत्रकारिता में उन्हें 40 साल का लंबा अनुभव है और उन्हें अपने काम व प्रोफेशनल नजरिये के लिए जाना जाता है। महज 24 वर्ष की आयु में वह 'आज' अखबार का संपादक बने और फिर संपादक के तौर पर पहले 'आज', फिर 'आजतक' न्यूज चैनल, हिंदी दैनिक 'अमर उजाला' और फिर 'हिन्दुस्तान' के समूह संपादक बने। इन दिनों 'हिन्दुस्तान' के प्रधान संपादक के तौर पर कार्यरत शशि शेखर का मानना है कि इस देश में नारेबाज बहुत हो गए हैं और कुछ लोगों का यह धंधा बन गया है। इसके साथ ही शशि शेखर का कहना है कि कोरोना का प्रिंट मीडिया पर बड़ा असर हुआ और कई साथियों को इस वजह से तकलीफ भी उठानी पड़ी। समाचार4मीडिया के साथ एक बातचीत में उन्होंने कहा कि आज के समय की बात करें तो अखबारों का वह बुरा दौर बीत गया है। विज्ञापन भी वापस आ रहे है। शशि शेखर का मानना है कि ये बुरे दिन वापस भी आ सकते हैं, इसलिए अखबारों को अपनी कीमतों पर एक बार फिर गौर करना पड़ेगा। शशि शेखर का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने न्यूज पब्लिशर्स के हक में जो निर्णय लिया है, ऐसा कार्य भारत सरकार को भी करना चाहिए। अगर आज कोई इतना समय लगा रहा है और वही कंटेंट कोई अगर फ्री उठाकर डाल दे तो ये गलत है। उसके बाद फेक न्यूज वाले अपने हिसाब से अगर उसे गलत तरीके से वायरल कर दें तो नुकसान है। इसलिए गूगल को भारत में भी कंटेंट पब्लिशर्स को पैसे देने चाहिए। |
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